Corona Crisis : विश्व कप खेल चुके क्रिकेटर की मां को पेट पालने के लिए करना पड़ रहा है काम

नई दिल्ली : कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण जहां तमाम लोगों ने सुरक्षित रखने के लिए खुद को घरों में कैद कर रखा है। वहीं लाखों लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें पेट पालने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ रहा है। लेकिन यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि इसमें एक ऐसी मां भी है, जिनका बेटा विश्व कप क्रिकेट (Cricket World Cup) में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुका है और उसमें उन्होंने बेहद प्रभावशाली प्रदर्शन किया था। इसके बावजूद उनकी मां को अपनी जान खतरे में डालकर रोजी-रोटी के लिए घर से बाहर निकलना पड़ रहा है।

मां है बस कंडक्टर

हाल ही में अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले क्रिकेटरों में मुंबई के अथर्व अंकोलेकर (Atharva Ankolekar) भी शामिल थे। वह काफी गरीब परिवार से आते हैं। अथर्व के घर की रोजी-रोटी से लेकर उनकी क्रिकेट ट्रेनिंग का पूरा खर्च उनकी मां उठाती है। बता दें कि अथर्व की मां वैदेही अंकोलेकर मुंबई की बेस्ट बस में कंडक्टर हैं और वह कोरोना संकटकाल (Corona Crisis) में भी काम पर जा रही हैं, क्योंकि अगर वह नौकरी पर नहीं गई तो उनका वेतन कट जाएगा। अथर्व अंकोलेकर एक ऑलराउंडर हैं और उन्होंने अंडर 19 वर्ल्ड कप (U19 World Cup) में भारत के लिए शानदार प्रदर्शन किया था।

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अथर्व अंकोलेकर की मां का दर्द

अथर्व की मां वैदेही ने बताया कि उनके पास किसी तरह का इंश्योरेंस नहीं है। अगर वह नौकरी पर नहीं गईं तो उनका वेतन कट जाएगा और ऐसे में परिवार का पेट पालना मुश्किल हो जाएगा। वैदही ने बताया कि हालांकि उनका बेटा अथर्व उन्हें काम पर जाने के लिए मना करता है, लेकिन परिवार के लालन-पालन के लिए उनका काम करना जरूरी है। बता दें कि इसकी एक वजह यह भी है कि अथर्व की अभी कोई निश्चित कमाई नहीं है। उन्हें मैच और टूर्नामेंट के हिसाब से पैसे मिलते हैं। इस बार आईपीएल (IPL) की नीलामी में जिन 971 लोगों को शॉर्टलिस्ट किया गया था, उसमें अथर्व को इसलिए जगह नहीं मिली थी, क्योंकि उन्होंने लिस्ट ए का एक भी मैच नहीं खेला था। यह अलग बात है कि नीलामी के बाद भारत की अंडर-19 टीम विश्व कप के फाइनल तक का सफर तय करती है और उसमें अथर्व की अहम भूमिका होती है।

वैदेही को अपने काम पर नाज है

वैदेही ने बताया कि वह मुंबई के अंधेरी और विरार रूट पर काम कर रही हैं। साथ में यह भी बताया कि बेस्ट की बस विरार तक नहीं जाती, लेकिन यह कोरोना वॉरियर्स (Corona Warriors) के लिए इमरजेंसी सर्विस है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम बीएमसी कर्मचारियों, पुलिस, डॉक्टर और नर्स को समय पर उनके वर्कप्लेस तक पहुंचाएं। ट्रेन नहीं चलने के कारण ये सब लोग बस पर ही निर्भर हैं। वैदेही ने कहा कि उन्हें अपने काम पर नाज है। इस तरह वह भी कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दे पा रही हैं।

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अथर्व ने किया था मना

वैदेही के अनुसार, अथर्व लंबे समय से उन्हें काम छोड़ने के लिए कह रहे हैं। कोरोना काल में भी बेस्ट के कर्मचारियों में बढ़ रहे कोरोना वायरस के बाद अथर्व ने उन्हें काम पर जाने के लिए कहा। इतना ही नहीं, कोरोना के मामले आने के कारण उनकी बिल्डिंग भी सील कर दी गई है। इसके बावजूद वह काम पर जा रही हैं। क्योंकि अगर वह नहीं गईं तो घर का काम नहीं चल पाएगा। परिवार चलाने के लिए उन्हें हर हाल में अपना पूरा वेतन चाहिए। वैदेही ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे अथर्व को भी इसके लिए मना लिया है और वह काम पर जा रही हैं।



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